उम्मीदों से मिलने वाली निराशा से कैसे निपटे | How to deal with disappointment from expectations in Hindi

उम्मीदों से मिलने वाली निराशा से कैसे निपटे | How to deal with disappointment from expectations in Hindi (निराशा को कैसे दूर करें Tips in Hindi), निराशा से बाहर कैसे निकलें – Nirasha se bahar kaise nikle (Tips To Overcome Depression in Hindi), निराशा से बाहर निकलने के उपाय क्या हैं (Nirasha se bahar nikalne ke upay), निराशा से कैसे बचें (Nirasha se kaise bache) और निराशा से बाहर कैसे आयें (Nirasha se bahar kaise aaye), अगर आपको भी इन सब सवालों के जवाब चाहिए तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें।

आज का विषय बेहद दिलचस्प है क्यूंकि आज के इस ब्लॉग में हम जानने वाले है हम अपनी उम्मीदों से मिलने वाली निराशा से कैसे निपट सकते है। हम अक्सर किसी ना किसी से कोई उम्मीद लगा बैठते है और जब वो पूरी नहीं होती तो हम बेहद निराश हो जाते है, कई बार तो अपनी ज़िन्दगी तक को खत्म कर लेते है। 

जिंदगी बहुत कीमती है इसलिए इसे खुल के जीना चाहिए। निराशा, दुःख और तकलीफें, ज़िन्दगी का अंत नहीं है बल्कि ये सब तो आपको ज़िन्दगी जीना सिखाते है।

हमारे जीवन में अक्सर कई बार ऐसे मौके आते हैं, जब हम खुद को बेहद निराश और उदास पाते हैं। इस निराशा की स्थिति में खुद को और अपने आत्मविश्वास को कभी कमजोर ना पड़ने दें।

हमे सबसे ज्यादा निराशा तब होती है जब हम दूसरों से कुछ उम्मीद लगा लेते है। अगर आपको इस निराशा से बचना है तो इसका सबसे आसान तरीका है किसी से उम्मीदें मत रखिये क्यूंकि जब किसी से कोई उम्मीद ही नहीं होगी तो आपको निराशा भी नहीं होगी।

 

उम्मीदों से मिलने वाली निराशा से कैसे निपटे | निराशा को कैसे दूर करें Tips in Hindi

निराशा क्या है – What is Despair | Nirasha kya hai in hindi 

निराशा एक ऐसी मनोदशा है, निराशा एक ऐसी स्थिति है जिसमे इंसान बहुत उदास, दुखी, चिड़चिड़ा और बेचैन हो जाता है। निराशा एक स्थिति है जो किसी व्यक्ति की मनोदशा और काम के प्रति अरुचि को दर्शाती है।

निराश व्यक्ति का किसी भी काम में मन नहीं लगता है। वह खुद को खाली, बेबस, बेकार और दोषी इत्यादि समझने लगता है। उसके दिमाग में हमेशा नकारात्मक विचार आते रहते हैं। वह खुद को बिलकुल अकेला और बेबस महसूस करने लगता है। निराश व्यक्ति खुद को इतना हताश पाता है कि उसके दिमाग में आत्महत्या करने तक का ख्याल आने लगता है।

 

निराशा क्यों होती है – Why is it Frustrating | Nirasha kyu hoti hai

हम सभी लोग अपने जीवन में हमेशा खुश रहने और एक अच्छी ज़िन्दगी बिताने के सपने देखते हैं। हम सबकी कुछ इक्छाएं (wishes), कुछ ख्वाहिशें (aspirations) और कभी दूसरों से कुछ उम्मीदें (some expectations from others) भी होती हैं। हम सब अपनी ज़िन्दगी में जो चाहते हैं बस उसे हासिल करने को ही ख़ुशी और एक बेहतर ज़िन्दगी समझते हैं।

हम अपनी ज़िन्दगी में कई सपने देखने हैं जिन्हे हम पूरा करना चाहते हैं। लेकिन ऐसा कर पता हर किसी से नहीं हो पता, हर कोई अपनी ज़िन्दगी में अपनी इच्छाओं, ख्वाहिशों, सपनों और उम्मीदों को पूरा नहीं कर पता। सभी लोग अपनी अपनी ज़िन्दगी में अपनी पसंद की सभी चीजो को हासिल नहीं कर पाते।

जब हम अपनी इच्छाओं को पूरा नहीं कर पातें तब वो इक्छाएं, वो चाहतें, अधूरी रह जाती हैं जिससे हम निराश हो जाते हैं और हमारे अन्दर नकारात्मक विचार आने लगते हैं।

हर किसी के जीवन में निराशा के अलग अलग कारण होते हैं। कुछ लोग अपनी आर्थिक स्थिति के कारण निराश होते हैं, तो कई लोग परीक्षा में अच्छे नंबर ना ला पाने के कारण निराश हो जाते हैं। कुछ लोग प्रवेश परीक्षा में असफल होने के कारण तनाव में आ जाते हैं, किसी को मनपसंद नौकरी नहीं मिलती, तो कोई अपनी पारिवारिक समस्याओं के कारण निराश होता है।

कुछ लोग खाशकर हमारी युवा पीढ़ी अपनी love story के अधूरी रह जाने के कारण भी Depression में आ जाते हैं तो कई किसी के कारण धोखा दिए जाने या किसी से की हुई उम्मीद के पूरा ना होने के कारण भी निराश हो जाते हैं। ऐसे बहुत से कारण हैं जिनसे लोग निराश (depressed) हो जाते हैं या depression में आ जाते हैं।

इस निराशा का कहर इतना ज्यादा होता है, कभी कभी जिंदगी में इतनी मुश्किलें आ जाती हैं, लोग इतने निराश और Depressed हो जाते हैं की आत्महत्या तक करने की सोच लेते हैं और कुछ लोग तो आत्महत्या कर भी लेते हैं।

 

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निराशा की पहचान कैसे करें – How to Identify Depression |Nirasha ki pehchan kaise karen निराशा के लक्षण | Symptoms of Despair Signs of Despair

निराशा से घिरे हुए लोग तनावग्रसित रहते हैं। उनका किसी भी काम में मन नहीं लगता, ऐसे लोग हमेशा गुम शुम रहते हैं और अकेले रहना पसंद करते हैं। ऐसे लोग ना तो किसी से बात करना पसंद करते हैं और ना ही किसी से मिलते जुलते हैं।

निराशा से ग्रसित लोगों के मन में हमेशा नकारात्मक विचार आते रहते हैं। ऐसे लोगों को लगता है की उनकी ज़िन्दगी बेकार है, वो लोग किसी काम के नहीं है, कोई उनके साथ नहीं है। ऐसे लोग को किसी पर भी भरोसा नहीं रहता।

ऐसे लोगों का खाने पिने का कोई समय नहीं होता, ये लोग ठीक से खाते पीते नहीं हैं। निराश लोगों को नींद ना आना या ज्यादा नींद आना, थकान, चिड़चिड़ापन, भूख ना लगना या पाचन सम्बन्धी समस्यायें भी हो सकती हैं। ऐसे लोग खुद को खाली, बेबस, बेकार और दोषी समझते हैं।

 

निराशा से बाहर निकलने के तरीके – Ways out of Despair | Nirasha se bahar nikalne ke tarike in hindi

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ऊपर मैंने आपको निराशा के कारणों के बारे में बताया, लेकिन मैंने अपनी अब तक की ज़िन्दगी में यह महसूस किया है की इंसान सबसे ज्यादा दुःखी तब होता है जब उसने किसी से कोई उम्मीद करी हो और वो पूरी नहीं हो।

इस स्थिति में इंसान सबसे ज्यादा दुःखी और हतास हो जाता है। तो अगर आप या आपको कोई जानने वाला इंसान निराशा से बाहर निकलना चाहता है तो आज मैं आपको निराशा से बाहर निकलने के तरीके बताने वाली हूँ ताकि कोई अगर सच में तनावग्रसित है और इससे बाहर निकलना चाहते हैं तो मेरे द्वारा बताये गए Tips उसके काम आ सके।

इंसान को अपना जीवन शुरू करने से पहले अपने जीवन के बारे में में पूरी जानकारी होनी चाहिए। ये शरीर, ये मन इसे कैसे इस्तेमाल करना है, किस तरह से ये अच्छे से काम करेगा, ये सब जानने के लिए हमे खुद के ऊपर थोड़ा वक़्त लगाना होगा।

 

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उम्मीदों से मिलने वाली निराशा से बाहर निकलने के तरीके को समझें (How to deal with disappointment from expectations) :

अगर आप ये सोचते है की आप किसी से उम्मीदें नहीं रखेंगे तो आप कुछ नहीं कर पाएंगे, तो ऐसा बिलकुल नहीं है। इस संसार में हर कोई कुछ ना कुछ करता है जितना वो कर सकता है जैसे पशु – पक्षी, कीड़े – मकौड़े इत्यादि, हर कोई कुछ ना कुछ करता ही है जितना वो कर सकता है। इसलिए आप भी वही कीजिये जो आप कर सकते है।

अगर आप अपने आस पास की हर चीज को एक ही तरह से देख सकते है तो हर वो चीज जो आप कर सकते है आप जरूर करेंगे, और आप जो नहीं कर सकते वो नहीं करेंगे, तो इसमें परेशानी क्या है?

आप हमेशा अपने काम करने की क्षमता को बढ़ाने की कोशिश करें। अगर एक बार आप ये समझ जाते है तो आपका पूरा जीवन इसी पे केंद्रित होगा की अपनी काम करने की क्षमता को कैसे बढ़ाएं ना की बेवकूफी भरी उम्मीदों पे अपना समय बर्बाद करने में।

आपका जीवन जैसा भी है या होने वाला है वो आपकी इक्छाओं के कारण नहीं होता बल्कि वो इसलिए वैसा होता क्यूंकि आपके पास एक काबिलियत है। इसलिए आप अपना समय खुद को काबिल बनाने में लगाएं ना की किसी और से उम्मीदें लगाने में। अपना समय बेतुकी उम्मीदों को खड़ा करने के बजाये खुद को काबिल बनाने में लगाइये।

कोई भी प्राणी अपनी क्षमता से ज्यादा कुछ नहीं कर सकता। आप जितने काबिल है आप उतना ही कर सकते हैं। हाँ पर अपनी क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। अगर आप अपनी क्षमता को बढ़ाये बिना बस किसी से उम्मीदें खड़ी कर रहे हैं, तो ये बुनियादी रूप से गलत है।

अगर आपको लगता है की आप 60 Seconds में 100 KM दौड़ सकते है तो आपको ऐसा नहीं सोचना चाहिए। आप बस अपने पैरों और फेफड़ों पर ध्यान दीजिये और बस दौड़िये। क्या पता आप 6 Seconds में दौड़ पूरी कर ले। आप वक़्त की चिंता मत कीजिये। आप बस अपने पैरों को जितना हो सके उतना मज़बूत बनाइये और बस दौड़िये।

लेकिन बस दौड़ने की ख़ुशी के लिये दौड़िये ना की किसी को कुछ साबित करने के लिए। आप खुद को झूठी उम्मीद मत दीजिये की आप इतनी देर में इतना दौड़ सकते है। अगर आप किसी और को देख कर अपने जीवन के लिए कोई उम्मीद बना रहे है तो ये आपके जीवन का एक बहुत की बेवकूफी भरा निर्णय होगा।

किसी से कुछ उम्मीद किये बिना जो आपकी परिस्थिति आपको करने देती है आप बस वही कीजिये और खुद को काबिल बनाइये। आपके सामने जिस भी तरह की परिस्थिति आती है आप उसके मुताबिक काम कीजिये ना की वैसे जैसे आपको पसंद है।

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निराशा को कैसे दूर करें 10 Tips in Hindi । निराशा से बाहर निकलने के 10 तरीके

निराशा को कैसे दूर करें 10 Tips in Hindi । निराशा से बाहर निकलने के 10 तरीके

1. सोच में बदलाव करें (Change your thinking)निराशा का सबसे बड़ा कारण है दिमाग में बार बार नकारात्मक विचारों का आना। शोध से पता चला है कि जो लोग depressed होते हैं वो अपनी उपलब्धियों, गुणों और अपनी प्रतिभा को धीरे धीरे ख़त्म कर रहे होते हैं। इसलिए निराश होने की वजह चाहे कुछ भी हो हमेशा सकारात्मक सोच रखनी चाहिए क्योंकि सकारात्मक सोच वाले व्यक्ति बड़ी से बड़ी मुश्किलों से भी आसानी से बाहर आ जाते हैं।

किसी काम को करने से पहले हार मान लेना और कहना की मैं ये काम नहीं कर सकता या ये चीज मेरी किस्मत में नहीं है, ऐसा सोचने के बनाये सकारात्मक होकर अपनी बात कहिये की मैं ये कर सकता हूँ और एक दिन मैं इसे पा लूंगा।

2. केवल अपनी अच्छी यादों और अच्छी चीजों के बारे में सोचें (Think only about your good memories and good thing / Think about your good deeds) : जो भी यादें और बातें आपको निराश करती है या tension देती है ऐसी बातों के बारे में ना सोचकर, अपने अच्छे कार्यो के बारे में सोचें और अपनी अच्छी यादों को याद कर, इसके बारे में सोचें।

दोस्तों या अपने प्रेमी / प्रेमिका से मिलने जाएं, College में दोस्तों के साथ बिताये पल, lover के साथ बिताये गए पल, या परिवार के साथ बिताये गए अच्छे पल और उन यादगार लम्हों के बारे में सोचें। दोस्तों, परिवार, रिश्तेदार और खास लोगों द्वारा दिए हुए उपहारों को देखें, अपनी birthday wishes पढ़ें। इन सबसे आपका मन हल्का होगा और आप काफी relax महसूस करेंगे।

3. जिस बात से निराशा होती हो उस पर ध्यान ना दें (Don’t focus on what makes you frustrated)कभी कोई बात परेशान करें या इससे नकारात्मक बातें मन में आने लगे तो तुरंत उस विषय से अपना ध्यान हटाकर सकारात्मक चीजों के बारे में सोचना शुरू कर दें या ऐसी कोई चीज देखें या पढ़ें जिससे आपने मन में सकारात्मकता आये।

अगर हमे कई बातें परेशान करती हैं पर जब हम उन बातों के बारे में सकारात्मक होकर सोचते है तो असल में वो उतनी बड़ी बात नहीं होती जितनी हमे लगती है और हम बेवजह tension ले लेते हैं। इसलिए जो बातें आपको सबसे ज्यादा परेशान करती हैं उनको भूल जाइये क्योंकि भूलने से हमारे दिमाग से एक बोझ सा उतर जाता है और हम Relax महसूस करते हैं।

4. माफ़ करने की आदत डालें (Make a habit of forgiving) : कोई आपके साथ कुछ गलत करता है, धोखा करता है, आपका कोई नुकसान करता है, आपके भरोसे को तोड़ता है या फिर आपको प्यार में बेवफाई मिली है तो जाहिर सी बात उससे सभी को दुःख तो होता ही है और कभी कभी तो ये दुःख इतना ज्यादा होता है की लोग आत्महत्या तक कर लेते हैं।

लेकिन इस बात को आप गांठ बांध लीजिए की जिसने भी आपके साथ यह सब किया है उसे आपके परेशान होने या आत्महत्या करने से कोई फरक नहीं पड़ता बल्कि इन सबसे नुकसान आपका ही होगा। इसलिए जिसने आपके साथ गलत किया है उसे एक ना एक दिन उसका एहसास जरूर होगा और उसे अपने कर्मों की सजा भी जरूर मिलेगी।

आप बस अपने मन से ऐसे इंसान की सारी यादें मिटा दें और उसे माफ़ कर के अपना सारा काम सुचारु रूप से करें। फिर आप देखेंगे कि आप को एक अलग सी शांति और सुकून का अनुभव होगा और आप निराशा से बाहर निकलने लगे है या निकल चुके हैं। 

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5. खुद को Busy रखें (Keep yourself busy)आपने ये कहावत तो सुनी ही होगी “खाली दिमाग, शैतान का घर“, ये कहावत बिलकुल सही है क्यूंकि अगर आप खुद को Busy नहीं रखेंगे, खुद को अकेला छोड़ देंगे तो आपके मन में नकारात्मक विचार आना एक दम आम बात है। इसलिए खुद को किसी ना किसी काम में Busy रखें और अपने interest का काम करें। अच्छी किताबें पढ़े, Net surfing करें, दोस्तों से chat करें, घर या ऑफिस में गप्पे लड़ाएं, और भी कुछ ना हो तो घर के काम करें, पोधों को पानी दें मतलब कुछ ना कुछ करते रहिये ताकि आपका ध्यान नकारात्मक बातों पर ध्यान ना जाये।

6. खुद को Entertain करें (Entertain yourself) : निराशा से बाहर निकलने के लिए आप अपनी पसंद के काम करें जैसे अपनी पसंद के गाने सुनें, अपनी पसंद की movie देखें, comedy movies देखें, जोक्स पढ़ें, comedy scenes देखें, जिन लोगो से बात करना अच्छा लगता हो उनसे बात करें, परिवार या दोस्तों के साथ कहीं घूमने जाए, पिकनिक या movie का प्लान बनायें या कुछ funny activities करें।

7. खुद को किसी से compare ना करें (Don’t compare yourself to anyone)कभी किसी और के रहन सहन, उनके पैसे, उनके ऐशो आराम, उनकी अमीरी, उनके शौक देखकर ईर्ष्या ना करें और ना ही उन चीजों के आपके पास ना होने से अपनी किस्मत को दोष दें। कभी खुद को दूसरों से Compare ना करें।

अगर किसी के पास आपसे ज्यादा है तो इसका सीधा अर्थ यही है की उसने वहां तक पहुंचने और वो सब कुछ हासिल करने के लिए काफी कुछ किया होगा, काफी मेहनत किया होगा और काफी दिमाग भी लगाया होगा।

कोई भी चीज बिना मेहनत और लगन के हासिल नहीं होती तो ईर्ष्या करके कोई फायदा नहीं है आप भी वहां तक पहुंचने के लिए दिन रात मेहनत और लगन से कार्यरत रहिये आप भी वो सब हासिल कर लेंगे।

कोशिश करें जो आपके पास वर्तमान में है उसी में खुश रहे और कुछ पाने के लिए खुद को दूसरों से तुलना करने के बजाये सकारात्मक सोच के साथ मेहनत करते रहे। 

8.भरपूर नींद लें (Get plenty of sleep) : नींद पूरी ना होने से शरीर थका थका सा लगता है, शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस होती है जिससे मन भारी भारी सा लगता है और किसी भी काम में दिल नही लगता और आप इससे तनाव के शिकार हो जाते हैं।

इसलिए कम से कम 6 – 8 घंटे की भरपूर नींद लें। भरपूर नींद लेने से शरीर को एक नयी उर्जा और ताजगी का एहसास होता है। मन हल्का और शांत होता है जो आपकी निराशा और तनाव को कम करने में मदद करता है।

9. योग और व्यायाम करें (Do Yoga and Exercise)योग और व्यायाम करने से मन काफी शांत रहता है और शरीर भी स्वस्थ रहता है। इसलिए आप रोज़ाना योग और व्यायाम करें तथा सुबह शाम टहलने जाएं। इसके अलावा आप तैराकी, साइकिलिंग या दौड़ का भी मज़ा ले सकते हैं।

सुबह सुबह टहलने जाने से हमे सुबह की ताज़ी हवा मिलती है, व्यायाम करने से माँसपेशियों में उत्तेजना आती है जिससे हमारे अन्दर एक नयी उर्जा का संचार होता है जो हमारे आत्मविश्वास को बढाता है और फालतू बातों से हमारा ध्यान हटाता है साथ ही हम तनावमुक्त होने लगते हैं।

10. नशे से बचे Stay away from Intoxicants) अक्सर निराशा या तनाव में लोग शराब, सिगरेट, गांजा जैसी नशीली चीजों से नशा करने लग जाते हैं। लोगों को लगता है की नशा उनकी tension और depression को दूर कर देता है, जबकि वास्तव में ऐसा कुछ नहीं होता है।

किसी भी तरह का नशा आपकी परिस्तिथियों को नहीं बदल सकता और ना ही आपकी समस्याओं को कम कर सकता है। नशा आपकी किसी tension को दूर नहीं कर सकता है। नशा कर के जब आप सोते हैं और जब सो कर उठते हैं तो वही समस्यायें, वही परिस्तिथियाँ आपके सामने रहती है ना की बदल जाती है।

नशा करने से समस्यायें और बढ़ जाती हैं तथा परिस्तिथियाँ और बदत्तर हो जाती हैं। बार बार नशा करने से आपको नशे की लत लग सकती है जिससे आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा ख़राब होती है, आपका स्वास्थय ख़राब होता है और आपके परिवार को भी इससे कई तरह की परेशानियां हो सकती है।

नशा करके व्यक्ति को और ज्यादा निराशा होती है उसके दिमाग में और ज्यादा नकारात्मक विचार आते हैं। इसलिए निराशा या तनाव होने पर उससे बाहर निकलने का सोचें ना की नशा करने का, नशे से सदा दूर रहें।

 

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सफलता के लिए क्या जरुरी है-आस्था, ईश्वर, भाग्य या प्रयत्न? What is needed for success-Faith, God, Luck or Effort?

 

 

आपको खुद से यह उम्म्मीद है की कोई अगर कुछ कर रहा है तो मैं उससे एक कदम आगे करूँगा, भले ही वो एक सिमित लक्ष्य हो। इसलिए आप उम्मीदें खड़ी मत कीजिये। आप अपने शरीर और अपने दिमाग को बेहतर बनाने के लिए काम करते रहिये ताकि आप इसे पूरी तरह से इस्तेमाल करने में सक्षम हों।

इस दुनिया में आप जो भी करते है वो उस स्थिति के मुताबिक होना चाहिए जिसमे आप है। काम हमेशा परिस्थिति के अनुसार होता है ना की आपके अनुसार, अगर आप ये एक चीज समझ गए तो आपको किसी से कोई भी उम्मीद नहीं होगी। आप बस वो कीजिये जिसकी जरुरत है।

कभी किसी से कोई उम्मीद ना लगाए बल्कि आपकी जो स्थिति है उसके अनुसार काम करें लेकिन लेवल उतना ही जितना आप कर सकते है। कभी किसी की देखा देखी ना करे। आत्मविश्वास बढ़ाने के तरीके अपनाएं, खुद को Motivate कैसे रखें उसके बारे में सोचे और खुद को Motivate बनाये रखने के तरीके अपनाएं। निराशा से आशा की ओर आपके कदम जरूर बढ़ेंगे और आपको निराशा से मुक्ति (nirasha se mukti) जरूर मिलेगी। 

 

 

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