गर्भावस्था का नौवां महीना – लक्षण, शारीरिक परिवर्तन, शिशु का विकास, पौष्टिक आहार तथा सावधानियाँ

गर्भावस्था का नौवां महीना : गर्भावस्था का आख़िरी समय यानि 9वां महीना एक ऐसा समय है जहाँ एक तरफ औरत को कई सारी परेशानियों और डर का सामना करना पड़ता है तो वही दूसरी ओर उसके दिल में नन्हे से मेहमान के आने की ख़ुशी भी होती है। गर्भावस्था का आखिरी महीना (garbhavastha ka antim charan) सबसे ज्‍यादा मुश्किल होता है।

आज के ब्लॉग में हम बात करेंगे प्रेग्‍नेंसी के नौवें महीने में (उनत्तीस से बत्तीसवाँ सप्ताह) में दिखने वाले लक्षण, गर्भवती में होने वाले बदलाव, गर्भावस्था के 9वें महीने में गर्भवती का आहार, शिशु का विकास तथा बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में, तो चलिए शुरू करते है।

जब एक औरत गर्भधारण करती है तो गर्भावस्था की शुरुआत से लेकर आखिर तक एक छोटे से नन्हे मेहमान के लिए ढेर सारे सपने संजोती रहती है। अपनी पूरी गर्भावस्था के हर पल को महसूस करते हुए, गर्भावस्था के दौरान होने वाली परेशानियों का सामना करते हुए अपने बच्चे के इस दुनिया में आने का इंतज़ार करती है।

एक औरत के लिए ये नौ महीने उसकी ज़िन्दगी के सबसे ख़ूबसूरत पल होते है जिसमे वो एक नए जिव को जन्म देने वाली होती है। इस दौरान गर्भवती को अपने स्वास्थ्य का बहुत ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है जिससे वो और उसके गर्भ में पल रहा शिशु दोनों ही सवस्थ रहे। नौवे महीने में प्रेगनेंट महिला अगर अपने आहार में कुछ खास चीजों को शामिल करे तो इससे नॉर्मल डिलीवरी में काफी मदद मिलती है।

गर्भावस्था के पहले और आखिरी महीने को सबसे ज्‍यादा मुश्किल माना जाता है क्यूंकि पहले महीने में आपका शरीर उसके अंदर होने वाले बदलावों के साथ समझौता करने और आखिरी महीने में डिलीवरी के लिए खुद को तैयार करने में लगा होता है । इस महीने तक शिशु का वज़न सहन कर पाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है।

इस महीने तक आपका वजन लगभग 15 से 20 किलो तक बढ़ जाता है और शिशु तरबूज जितना भारी हो जाता है। नौ महीने तक शिशु को गर्भ में रखना किसी वरदान से काम नहीं है। इन नौ महीनों में हर होने वाली माँ अपने गर्भ में पल रही नन्ही सी जान को सुरक्षित रखने का हर संभव प्रयास करती है।

हालाँकि नौवे महीने तक गर्भवती का चलना फिरना, उठना बैठना सब मुश्किल हो जाता है। लेकिन मायें हार नहीं मानती और बस अपना ध्यान अपने आने वाले शिशु पर लगाती है की कब वो मेरी बाँहों में होगा। तो चलिए आज चर्चा करते है नौवे महीने में महसूस होने वाले लक्षण और बदलाव, आहार, शिशु का विकास तथा सावधानियों के बारे में जो की बहुत जरुरी है।

 

गर्भावस्था का नौवां महीना : गर्भावस्था के नौवें महीने में लक्षण और बदलाव

1. इस महीने में शिशु की गतिविधियों में अंतर आएगा, जिस तरह वो पहले लगातार गतिविधियां करता था, अब उतनी नहीं करेगा क्यूंकि नौवे महीने तक शिशु का विकास पूरी तरह हो चूका होता है, जिस वजह से उसे गर्भ में हिलने-डुलने की जगह नहीं मिल पाती। इसी कारण उसकी गतिविधियां कम हो जाती हैं।

2. इस महीने हो रही योनि स्राव के साथ हल्का रक्त भी आ सकता है। यह प्रसव के कुछ दिन या कुछ सप्ताह पहले हो सकता है। वैसे तो ये सामान्य है, लेकिन अगर यह स्राव पीले रंग तथा दुर्गंध वाला हो तो तुरंत अपने चिकित्सक से संपर्क करें। अगर ऐसा ना भी हो तो परेशानी की कोई बात नहीं है।

3. गर्भावस्था के अंतिम समय में ब्रेक्सटन हिक्स संकुचन बढ़ने लग जाते हैं। ये प्रसव पीड़ा के जितने तीव्र नहीं होते और न ही ज्यादा पीड़ादायक होते हैं। पर अगर यह संकुचन एक घंटे में चार बार से ज्यादा और 30 सेकेंड्स या 1 मिनट से ज्यादा हों और पीड़ादायक हो, तो ये लेबर पेन का संकेत हो सकता है। ऐसा होने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।

4. इस महीने आपको पेशाब लीकेज की समस्या भी हो सकती है। कभी भी जोर से हँसते या छींकते समय या किसी और समय भी पेशाब लिक हो सकता है ऐसा मूत्राशय पर दबाव पड़ने के कारण होता है। साथ ही बार-बार पेशाब जाने की जरुरत भी महसूस होती है।

रात में भी बार-बार पेशाब लगने के कारण आपकी नींद भी ख़राब होती है। स्तनों का आकर बढ़ेगा और उसमे भारीपन भी आएगा। स्तनों से पिले रंग के द्रव का रिसाव हो सकता है। आपका हाथ पैर खासकर चेहरे पर सूजन महसूस हो सकती है।

5. आप वज़न इस महीने और बढ़ेगा जिसके कारण आपको उठने बैठने में तकलीफ होगी, थकान और साँस लेने में तकलीफ जैसी परेशानी भी होगी। आप खुद को पहले से ज्यादा असहज महसूस कर सकती हैं।

शिशु का वज़न और गर्भाशय का आकर बढ़ने से नितम्ब तंत्रिका पर दबाव पड़ता है जिसके कारण पीठ दर्द की समस्या भी हो सकती है। इस महीने में श्रोणि भाग खुल लगता है और शिशु मां के गर्भ से नीचे की ओर आने लगता है।

 

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गर्भावस्था के नौवें महीने में गर्भवती महिला का आहार | Diet of pregnant woman in 9th month of pregnancy

हर गर्भवती महिला को आखिरी महीने में ये चिंता सताती है की उसकी डिलीवरी कैसे होगी? Normal delivery होगी या फिर Cesarean Delivery? प्रेगनेंसी के 9 महीने में क्या खाना चाहिए जिससे नार्मल डिलीवरी हो सके? 9 महीने में डिलीवरी कब हो सकती है? ऐसे कई सवाल गर्भवती के मन में आना स्वाभाविक है।

गर्भावस्था के हर महीने की तरह नौवें महीने में भी आप अपना खान पान संतुलित और स्वस्थ रखें। पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं और खुद को हमेशा हाइड्रेटिड रखें। फाइबर और विटामिन सी से भरपूर भोजन आपको कब्ज़ और गैस को दूर करने तथा आयरन को ठीक से अवशोषित करने में मदद करता है।

साबुत अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां, चुकंदर, पिस्ता, अनार, सेब, पालक, संतरा, रेशे वाली सब्जियां, मौसमी, ओटमील इत्यादि इसमें काफी फायदेमंद है। नौवें महीने में विटामिन सी का आपके आहार में होना बहुत आवश्यक है।

नींबू, टमाटर, संतरे, मौसमी, स्ट्रॉबेरी, ब्रोक्कोली आदि में यह भरपूर मात्रा में होता है। प्रसव के अंतिम दिनों में आपके शरीर में आयरन की कमी नहीं होनी चाहिए इसलिए आप आयरन युक्त आहार जैसे पालक, सोयाबीन, मेवे, ब्रोक्कोली, अंडे आदि को अपने आहार में शामिल करें।

दूध और दूध से बने खाद्य पदार्थ जैसे दही, पनीर आदि विटामिन, मिनरल, कैल्शियम, पोटाशियम, प्रोटीन आदि पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत है इसलिए गर्भावस्था के अंतिम दिनों में दुग्ध उत्पादों का सेवन करें इससे शिशु का विकास सही से होता है।

गर्भावस्था के अंतिम चरण में कम मात्रा में वसा युक्त आहार खाना अति आवश्यक है। इसके लिए आप मेवे खा सकती हैं इससे आपको ओमेगा-3 फैटी एसिड प्राप्त होगा जो शिशु के दिमाग के लिए आवश्यक है। विटामिन्स, कार्बोहाइड्रेट्स, फाइबर तथा अन्य पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए उस मौसम में मिलने वाले फलों का सेवन करें।

 

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गर्भावस्था के नौवें महीने में शिशु का विकास | Baby development in the 9th month of pregnancy

इस महीने आपका शिशु पूरी तरह विकसित हो चूका होता है और जन्म लेने के लिए तैयार होता है (9 months pregnency baby position)। उसकी खोपड़ी के अलावा उसके शरीर की साडी हड्डियां कठोर हो जाती है। खोपड़ी की हड्डी इसलिए कठोर नहीं होती ताकि जन्म के समय जन्म देने वाली नलिका (Birth Canal) से वो आसानी से बहार आ जाये।

अब तक शिशु पूरी तरह विकसित हो जाता है और नीचे खिसक कर श्रोणि भाग में आ जाता है। इस महीने आपका शिशु 18-20 इंच तक लम्बा और वज़न में लगभग 2.5 किलो से 3.5 किलो या इससे थोड़ा ज्यादा तक हो सकता है।

आपके शिशु का विकास, स्वास्थ्य और वजन पूरी तरह आपके खान – पान और जीवन शैली पर निर्भर करता है। उसके शरीर पर का वर्निक्स (Vernix) नामक मोटा सफ़ेद पदार्थ कम हो जाता है तथा लेंयुगो (Lanugo) नामक गर्भरोम (बालों की परत, जो भ्रूण को ढक कर रखती है) भी पूरी तरह गायब हो जाते है।

उसके सिर के बाल और घने हो जाते है। शिशु की त्वचा एकदम गुलाबी और चिकनी हो जाती है। हाथ-पैर पूरी तरह से बन चुके होते हैं और उसके नाखून भी आ जाते हैं। शिशु का दिमाग और फेफड़े भी पूरी तरह बन चुके होते है और सही से काम करने लगते हैं।

इस महीने शिशु की गतिविधियां कम हो जाती हैं क्योंकि उसके पूरी तरह से विकसित होने के कारण उसे गर्भ में हिलने-डुलने के लिए कम जगह मिलती है।

 

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गर्भावस्था के नौवें महीने में बरतें कुछ सावधानियाँ | Take some precautions in the 9th month of pregnancy

अब आपके नन्हे मेहमान के आने में ज्यादा समय नहीं है 9 महीने में डिलीवरी के लक्षण कभी भी दिखाई देना शुरू हो सकता है। इसलिए आप प्रसव के लिए अस्पताल जाने से पहले ज़रूरी सामान का बैग तैयार करें, ताकि प्रसव पीड़ा शुरू होते ही आप बैग उठाकर तुरंत अस्पताल पहुंच सकें।

आपको आपकी डिलीवरी से जुड़ी चिंताएं सताएगी पर आप ज्यादा परेशान ना हों, खुश रहने की कोशिश करें। सारी परेशानियों और चिंताओं को भूलकर आने वाले नन्हे मेहमान के बारे में सोचे। इस दौरान गुनगुने पानी से नहाने से आपको काफी अच्छा महसूस होगा।

आप चाहें तो स्विमिंग पूल में जाकर कुछ देर रिलैक्स हो सकती हैं। इससे आपका शरीर प्रसव के लिए तैयार होता है तथा आपको तनाव से भी राहत मिलती है। जितना हो सके आराम करे, ज्यादा काम करने और खुद को थकाने से बचें। पीठ के बल कभी न सोएं इससे गर्भाशय का भार रीढ़ की हड्डी पर पड़ता है, जिससे पीठ में दर्द बढ़ सकता है।

पूरी गर्भावस्था के दौरान बाईं करवट ले कर सोएं। ज्यादा देर तक खड़े होने, लम्बे समय तक बैठने, निचे झुकने तथा भरी सामान उठाने से बचें। अपने शरीर के संकेतों को समझने की कोशिश करें। अगर आप पहली बार माँ बनने जा रही हैं तो हो सकता है कि आपको प्रसव पीड़ा को महसूस करने में कुछ समय लगे।

आपका प्रसव कभी भी हो सकता है, तो आप पूरी तरह से सतर्क रहें। अगर आपको नीचे दिए गए लक्षण नजर आते हैं, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए, जैसे :

1. पानी की थैली फटना – यह प्रसव का समय हो सकता है

2. योनि से सफेद, रक्त जैसा लाल, थोड़ा भूरा या गुलाबी रंग का पदार्थ (म्‍यूकस प्‍लग) या भारी रक्त स्राव होना

3. इस दौरान हाथ-पैरों में सूजन तथा धुंधला दिखाई दे सकता है

4. कमर, पेट और नितम्ब में बहुत तेज दर्द

हालाँकि कई महिलाओं को समय पूरा होने पर भी ऐसी कोई समस्या नहीं होती इसलिए चिकित्सक अपने द्वारा दिए गए प्रसव की तारीख के बाद ही अस्पताल आने की सलाह देते हैं। अगर आपको दी गयी तारीख के बाद भी दर्द या अन्य कोई समस्या न हो तो प्राकृतिक तरीके से प्रसव पीड़ा शुरू कराई जाती है।

आपके शिशु के इस दुनिया में आने के लिए अब केवल कुछ ही समय बचे हैं। माँ बनने के बाद आप पूरी तरह से व्यस्त होने वाली है। ऐसे में अपनी पसंद के कार्यों को पहले ही कर लें जैसे शॉपिंग, पैकिंग, अपने पसंद का खाना खाना, दोस्तों से मिलना इत्यादि। क्यूंकि हो सकता है कि बच्चे के आने के बाद आपको इन सबके लिए समय न मिले। गर्भावस्था का यह समय फिर से लौट कर नहीं आ सकता इसलिए अपने इन पलों को यादगार बनाएं।

 

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उम्मीद करती हूँ आपको आज का मेरा यह लेख गर्भावस्था का नौवां महीना – लक्षण, शारीरिक परिवर्तन, शिशु का विकास, पौष्टिक आहार तथा सावधानियाँ पसंद आया होगा। आज के लेख से जुड़े किसी भी तरह के सुझाव या सवाल के लिए आप मुझे कमेंट कर सकते हैं।

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