गर्भावस्था में टीकाकरण | Vaccination During Pregnancy in Hindi

हर माँ चाहती है कि उसका बच्चा स्वस्थ पैदा हो और इसकी तैयारी प्रेग्नेंसी से ही शुरू करनी होती है। गर्भावस्था के समय महिलाओं में रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। जिससे की माँ और बच्चे को संक्रमण का खरता रहता है और उसके कई गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं। गर्भावस्था में टीकाकरण (Pregnancy mein kaun kaun se tike lagte hain) माँ और बच्चे को इन संक्रमण से बचाने का सबसे सरल तरीका है। गर्भावस्था में टीकाकरण (गर्भावस्था के दौरान टीकाकरण चार्ट) कई बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है। 

प्रेग्नेंसी में टीकाकरण (Pregnancy mein kaun kaun se tike lagte hain) से माँ और बच्चा, दोनों ही कई रोगों से सुरक्षित रहते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान मां से बच्चे को कई तरह के संक्रमण व रोग होने का खतरा रहता है। इसलिए महिलाओं को प्रेग्नेंसी शुरू होते ही टीके लगाने की आवश्यकता होती है। प्रेग्नेंसी में टीकाकरण करवाने से बच्चे को माँ के द्वारा ऐसे एंटीबॉडीज प्राप्त होते हैं जिससे वह रोगों और संक्रमण से खुद का बचाव कर पाता है।

इस लेख में प्रेग्नेंसी के टीकाकरण क्यों जरूरी है और इस दौरान लगने वाले टीकों के बारे में विस्तार से बताया गया है। साथ ही आपको प्रेग्नेंसी में लगने वाले टीके, प्रेग्नेंसी से पहले कौन से टीके लगवाने चाहिए, प्रेग्नेंसी में टीकाकरण से क्या बच्चे को नुकसान हो सकता है और गर्भावस्था में महिला को कौन से टीके नहीं लगवाने चाहिए आदि के बारे में भी विस्तार से बताया गया है।

प्रेग्नेंसी में टीकाकरण बहुत जरुरी है लेकिन कई महिलाओं को यह मालूम ही नहीं होता कि उनको प्रेग्नेंसी के दौरान कौन से टीके लगाने चाहिए। आज के इस लेख में आप जानेंगे की प्रेग्नेंसी के टीकाकरण क्यों जरूरी है, प्रेग्नेंसी में लगने वाले टीके, प्रेग्नेंसी से पहले कौन से टीके लगवाने चाहिए और प्रेग्नेंसी के दौरान लगने वाले टीके कौन से हैं। साथ ही हम ये भी जानेंगे की प्रेग्नेंसी में टीकाकरण से क्या बच्चे को नुकसान हो सकता है और गर्भावस्था में महिला को कौन से टीके नहीं लगवाने चाहिए।

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गर्भावस्था में टीकाकरण क्यों जरूरी है | प्रेग्नेंसी में टीकाकरण क्यों जरूरी होता है

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। इस दौरान उनका शरीर संक्रामक रोगों के प्रति संवेदनशील हो जाता है। इसलिए गर्भावस्था में टीकाकरण न सिर्फ माँ के लिए बल्कि गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए भी सुरक्षाकवच की तरह काम करते हैं। गर्भावस्था के दौरान मां की रोग प्रतिरोधक क्षमता ही बच्चे को कई तरह के गंभीर रोगों से सुरक्षा प्रदान करने का काम करती है। यही कारण है की प्रेग्नेंट होने से पहले और प्रेग्नेंसी के बाद भी महिलाओं को कई टीके लगाने की आवश्यकता होती है। 

गर्भावस्था के दौरान मां और शिशु की रक्षा के लिए सिर्फ पौष्टिक भोजन और व्यायाम ही काफी नहीं है। गर्भावस्था के दौरान कुछ अन्य बातों पर भी ध्यान देने की जरूरत होती है और टीकाकरण उन्हीं में से एक है। गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए गर्भवती मां को टीके जरूर लगवाने चाहिए। टीकाकरण से माँ और बच्चा कई प्रकार के संक्रामक रोगों से बचे रहते हैं।

टीके लगने से गर्भवती महिला का शरीर एंटीबॉडी बना लेता है, जो बॉडीगार्ड की तरह काम करता है। यह मां के जरिए शिशु को भी संक्रमण से बचाने में मदद कर सकता है। यही कारण है कि गर्भावस्था के दौरान टीकाकरण जरूरी है। आइये अब जानते हैं की गर्भावस्था के दौरान टीके लगवाना कितना सुरक्षित है।

 

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क्या गर्भावस्था के दौरान टीकाकरण सुरक्षित हैं?

गर्भावस्था के दौरान एक महिला को खुद का और अपने पेट में पल रहे बच्चे का खास ख्याल रखना पड़ता है। ऐसे में वो चाहती है की वो हर तरीके से अपने बच्चे को सुरक्षा प्रदान करे और टीकाकरण उन्ही सुरक्षाओं में से एक है। टीकाकरण करवाने से पहले हर माँ के मन में ये सवाल आना सामान्य है की क्या गर्भावस्था के दौरान टीकाकरण सुरक्षित हैं?

तो इसका जवाब है हां, गर्भावस्था के दौरान टीके लगवाना सुरक्षित है। ये टीके किसी सरकारी संसथान, सरकारी अस्पताल या प्राइवेट अस्पताल से भी लगवाए जा सकते हैं। शोध से पता चलता है कि काली खांसी और फ्लू के टीके गर्भवती महिला को महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रदान करते हैं। विशेषज्ञ गर्भावस्था के दौरान लगने वाले हर टीके की सुरक्षा का बारीकी से निरीक्षण करते हैं।

इन टीकों का परीक्षण एफडीए की देखरेख में किया जाता है। साथ ही एफडीए और सीडीसी द्वारा प्रत्येक टीके की निगरानी की जाती है। अत: गर्भावस्था के दौरान टीकाकारण सुरक्षित और जरूरी है। गर्भवती महिला को टीके लगाने के बाद भ्रूण को एंटीबॉडी प्रदान होती है। एंटीबॉडी गर्भ में ही शिशु को संक्रमण से लड़कर बीमारियों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने में मदद करती है।

प्रेग्नेंसी से पहले लगने वाले टीके – Vaccinations Before Pregnancy

ये सच है की प्रेग्नेंट होने के बाद टीकाकरण जरुरी है पर ये भी सच है की प्रेग्नेंट होने से पहले भी एक महिला को अपने शरीर को रोगों से मुक्त रखने के लिए टीके लगाने की आवश्यकता होती है। इसके लिए आपको किसी अच्छे स्त्री रोज विशेषज्ञ से सलाह लेने की जरुरत है। अगर आपने इससे पहले भी कोई टिका लगवाया है तो डॉक्टर को उसके बारे में भी बताना जरुरी है।

सीडीसी (सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन) के अनुसार, कुछ टीके गर्भावस्था से एक महीने या उससे पहले लगवाने चाहिए। टीके लगवाने से पहले डॉक्टर की सलाह पर रक्त की जांच करवाना आवश्यक है। इससे गर्भधारण के पूर्व ही रोग प्रतिरोधक क्षमता का पता चल सकता है। इसके बाद डॉक्टर की सलाह पर कुछ टीके लगवाए जा सकते हैं, जो निम्लिखित हैं :

• MMR (खसरा, मम्प्स व रूबेला) : रूबेला ऐसी गंभीर बीमारी है, जिसके परिणामस्वरूप गर्भपात या फिर अन्य कोई गंभीर नकारात्मक स्थिति बन सकती है। गर्भावस्था के दौरान रूबेलाकी वजह से बच्चों को जन्म दोष हो सकता है। इसमें जन्म से पहले बच्चे की मृत्यु व उसको जीवनभर के लिए कई गंभीर बीमारियां होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। इसके अलावा रूबेला केे कारण गर्भवती महिला को मिसकैरेज भी हो सकता है। इस बीमारी के खिलाफ सबसे अच्छी सुरक्षा MMR (खसरा-मम्प्स-रूबेला) वैक्सीन है।

• हेपेटाइटिस-बी : अगर गर्भावस्था के दौरान हेपेटाइटिस-बी संक्रमण है, तो यह जन्म के बाद शिशु को भी हो सकता है। हेपेटाइटिस-बी बच्चे के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है। इसलिए, हेपेटाइटिस-बी के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें कि आपको टीका लगवाने की आवश्यकता है या नहीं।
अब जानते हैं कि गर्भवती महिला को कौन-कौन से टीके लगाए जाते हैं।

 

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image source:cdc.gov.in

Pregnancy mein kaun kaun se tike lagte hain

प्रेग्नेंसी में लगने वाले टीके | Pregnancy Me Kitne Tike Lagte Hain

सभी गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कुछ गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए टीका लगवाने की आवश्यकता होती है जो निम्नलिखित हैं :

1. टीडैप वैक्सीन (Tdap) : गर्भवती महिलाओं और शिशु को टिटनेस, डिप्थीरिया और पर्टुसिस जैसी गंभीर बिमारियों से बचाने के लिए हर गर्भावस्था के दौरान Tdap वैक्सीन जरूर देनी चाहिए। इस टीके को लगाने से शिशु को टेटनस, काली खांसी और डिप्थीरिया जैसी बिमारियों से एकसाथ बचाया जा सकता है। इसके अलावा, गर्भवती स्त्री को टिटनेस टॉक्साइड (टीटी) के 2 टीके लगाए जाते हैं।

टिटनेस टॉक्साइड वैक्सीन का उपयोग टिटनेस के खिलाफ रक्षा के लिए किया जाता है। गर्भावस्था के प्रारंभिक दिनों में टीटी-1 का टीका लगाया जाता है और इसके चार हफ्तों के बाद टीटी-2 टीका लगाया जाता है। इसके बाद अगर अगले तीन वर्ष के अंदर महिला फिर से गर्भवती होती है, तो उसे इस बार सिर्फ बूस्टर टीटी का टीका ही लगाया जाएगा।

वैक्सीनवैक्सीन देने का सही समयखुराककहां लगेगा टीका
टीटी – 1गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में0.5 mlबांह के ऊपर
टीटी – 2टीटी – 1 के 4 सप्ताह के बाद0.5 mlबांह के ऊपर
टीटी बूस्टरपिछले 3 वर्षों में अगर गर्भवती महिला टीटी के 2 टीके लगवा चुकी है, तो उसे वर्तमान गर्भावस्था के समय सिर्फ बूस्टर टीटी का टीका ही दिया जाना चाहिए।0.5 mlबांह के ऊपर

 

2. फ्लू / इंफ्लुएंजा : दो सप्ताह के प्रसव के बाद गर्भवती महिलाओं की प्रतिरक्षा प्रणाली, हृदय और फेफड़े फ्लू के कारण प्रभावित हो सकते हैं। इससे गंभीर बीमारी होने का खतरा रहता है। यह गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी हानिकारक हो सकता है।

गर्भावस्था के दौरान फ्लू की चपेट में आने से बच्चे का जन्म समय से पहले भी हो सकता है। इसलिए, इंफ्लुएंजा का टीका लगवाना जरूरी है। यह टीका मां और बच्चे का जन्म के कुछ महीनों बाद तक भी फ्लू संबंधी समस्याओं से बचाव करता है।

3. हेपेटाइटिस बी : गर्भवती महिलाओं को हेपेटाइटिस बी नामक बीमारी होने की संभावना अधिक होती है। इस बीमारी के टेस्ट के नकारात्मक परिणाम आने की स्थिति में भी प्रेग्नेंट महिला को हेपेटाइटिस का टीका लगवाना चाहिए। इस टीके से मां के साथ-साथ बच्चा भी, जन्म से पहले और बाद में भी हर तरह के संक्रमण से सुरक्षित रहते हैं।

इस रोग से बचाव के लिए हेपेटाइटिस की तीन खुराक लेने की आवश्यकता होती है, पहली खुराक के बाद दूसरी खुराक एक महीने के बाद दी जाती है, जबकि तीसरी खुराक को छह महीने में दिया जाता है। 

4. व्हूपिंग कफ : निमोनिया और मस्तिष्क की सूजन जैसी की गंभीर जटिलताओं के कारण व्हूपिंग कफ अर्थात‌‌ काली खांसी होती है। यह स्थिति गर्भ में पल रहे शिशु के लिए खतरनाक हो सकती है। डॉक्टर, तीसरी तिमाही (गर्भावस्था के 27 और 36 सप्ताह के बीच) में जल्द से जल्द यह टीका लगवाने की सलाह देते हैं। वैसे Tdap टीके में ही इस रोग का टीका शामिल होता है।

कुछ अन्य टिके : कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी से पहले, प्रेग्नेंसी के दौरान और उसके बाद भी टीकाकरण की आवश्यकता होती है। उदाहरण के तौर पर यदि किसी महिला को पहले कभी लीवर संबंधी गंभीर रोग हुआ हो, तो ऐसे में डॉक्टर महिला को हेपेटाइटिस ए की दवा लेने की सलाह दे सकते हैं। अगर आप किसी लैब में काम करते है, या किसी ऐसी जगह जा रहे हैं जहां से आपको मेनिंगोकोकल रोग होने की संभावना है, तो भी डॉक्टर आपको मेनिंगोकोकल रोग के टीका लगाने की सलाह देते हैं।

गर्भावस्था में किन टीकों से बचना चाहिए | प्रेग्नेंसी में कौन से टीके नहीं लगवाने चाहिए

कुछ ऐसे टीके भी हैं, जिन्हें लेने के लिए डॉक्टर मना करते हैं। सीडीसी की रिपोर्ट के अनुसार सभी टीके भ्रूण के लिए सुरक्षित नहीं हैं। विशेष रूप से लाइव-वायरस के टीके गर्भवती महिलाओं को नहीं दिए जाने चाहिए, क्योंकि ये शिशु के लिए हानिकारक हो सकते हैं। जैसे की :

1. हेपेटाइटिस ए : टीके की सुरक्षा पर अधिक जानकारी मौजूद नहीं है। इस कारण से गर्भावस्था के दौरान इस टीके को लगाने से बचना चाहिए। जिन महिलाओं को हेपेटाइटिस होने की संभावनाएं होती है, उनको डॉक्टर से मिलकर इसके जोखिम और इलाज पर बात करनी चाहिए। 

2. खसरा, मंप्स, रूबैला (एमएमआर) : एमएमआर, मंप्स, रूबैला, इन टीकों को लगाने के बाद महिला को कम से कम एक महीने रूकने के बाद ही प्रेग्नेंसी के लिए प्रयास करने चाहिए। अगर रूबेला के लिए किए गए टेस्ट के नतीजों में महिला को इसके होने की संभावनाएं पाई जाती है, तो इस स्थिति में डिलीवरी के बाद महिला को एमएमआर टीका लगाया जा सकता है। 

3. ओपीवी और आईपीवी: पोलियो की जीवित वायरस और निष्क्रिय वायरस युक्त दवाओं को गर्भवती महिलाओं को नहीं दिया जाना चाहिए।

4. न्यूमोकोकल : इस टीकाकरण की सुरक्षा के विषय में किसी भी प्रकार की जानकारी उपलब्ध नहीं हैं। इस वजह से उच्च जोखिम वाली महिलाओं व लंबी बीमारी से पीड़ित महिलाओं को छोड़कर, इसे गर्भवती महिलाओ को नहीं देना चाहिए। 

टीकाकरण में बरते जाने वाली सावधान‍ियां । Precautions during vaccination in pregnancy

• टीकाकरण करवाने से पहले एक बार आपको डॉक्‍टर से सलाह जरूर लेनी चाह‍िए।
• पहली बार गर्भधारण करने पर हर स्त्री को टिटनेस टॉक्साइड के 2 टीके जरूर लगवाने चाहिए।
• अगर वैक्‍सीन लगवाने के बाद आपकी मांसपेश‍ियों में दर्द, थकान, बुखार, इंजेक्‍शन वाली जगह सूजन या दर्द हो तो डॉक्‍टर को बताएं। अक्‍सर वैक्‍सीन लगने के बाद ऐसे लक्षण आम माने जाते हैं।
• Pregnancy का पता चलते ही अस्‍पताल जाकर जांच व वैक्‍सीन कार्ड बनवा लें इससे हॉस्‍प‍िटल में आपका रज‍िस्‍ट्रेशन हो जाएगा और आपके व अस्‍पताल के पास ये जानकारी भी रहेगी क‍ि आपको कौनसे डोज़ लग चुके हैं या कौनसे बाक‍ि हैं।
• अगर आपके ऑफिस में जरूरी टीके लग रहे हैं, तो टीका लगवाने से पहले यह बता दें कि आप गर्भवती हैं। बेहतर यही होगा कि आप इस बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।

टीकाकरण के बाद साइड इफेक्ट्स / टीके लगने के बाद दुष्परिणाम

किसी भी दवा की तरह टीके के भी साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, लेकिन ये आमतौर पर हल्के होते हैं और अपने आप चले जाते हैं। टीके के साइड इफेक्ट्स में आपको जहां शॉट दिया गया वहां दर्द, लालीमा या सूजन आना, उस जगह मांसपेशियों में दर्द, थकान बुखार और सर दर्द हो सकते हैं।

 

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उम्मीद करती हूँ आपको आज का यह विषय Pregnancy mein kaun kaun se tike lagte hain, गर्भावस्था में टीकाकरण | Vaccination During Pregnancy in Hindi अच्छे से समझ आ गया होगा। इस पोस्ट से जुड़े अपने किसी सुझाव या सवाल के लिए आप मुझे कमेंट जरूर करें और पोस्ट पसंद आई हो तो इसे शेयर जरूर करें।

नर्स‍िंग होम्‍स, प्राइवेट अस्‍पताल, सरकारी अस्‍पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, मेडीकल कॉलेज, शहरी डिस्पेंसरियां, आंगनबाडी केन्द्र आद‍ि। 

अगर आप सरकारी अस्‍पताल में टीकाकरण करवा रही हैं तो ये जरूरी है नहीं क‍ि एनसी यानी एंटीनेटल जांच के ब‍िना टीकाकरण नहीं क‍िया जाएगा। अगर आपने गर्भावस्‍था के दौरान क‍िसी तरह की कोई जांच या कार्ड नहीं भी बनवाया है तो भी अस्‍पताल में जाकर जांच के पश्‍चात टीका लगवाया जा सकता है। 

वैक्‍सीन लगवाने के बाद आपको हल्‍का बुखार आ सकता है, वो इस बात का संकेत है क‍ि वैक्‍सीन से शारीर‍िक तंत्र पर सामान्‍य असर छोड़ा है, बुखार दो से तीन द‍िनों में ठीक हो जाएगा। अगर वैक्‍सीन लगने के बाद उस एर‍िया में पस जमे या अन्‍य गंभीर लक्षण नजर आए तो डॉक्‍टर के पाए आएं।

हां, गर्भावस्था के दौरान टिटनेस का इंजेक्शन अनिवार्य है, क्योंकि यह क्लोस्ट्रीडियम टेटानी नामक बैक्टीरिया के संक्रमण से शिशु को सुरक्षा प्रदान करता है। 

गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान जल्दी से जल्दी टिटनेस टॉक्साइड (टीटी) के दो टीके लगाये जाने चाहिए। इन टीकों को टीटी-1 एवं टीटी-2 कहा जाता है। इन दोनो टीकों के बीच 4 सप्ताह का अंतर रखना आवष्यक है। यदि गर्भवती महिला पिछले 3 वर्ष मेंं टीटी के 2 टीके लगवा चुकी है तो उसे इस गर्भावस्था के दौरान केवल बूस्टर टीटी का टीका ही लगवाया जाना चाहिये।

टीटी वैक्सीन सभी गर्भवती महिलाओं को दिये जाने से उनका व उनके बच्चे का टिटनेस रोग से बचाव होता है। टिटनेस नवजात शिशुओं के लिये एक जानलेवा रोग है। जिससे उन्हें जकड़न, मांसपेषियों में गंभीर ऐठन हो जाती है। कभी-कभी पसलियों में जकड़न के कारण शिशु सांस नही ले पाते हैं और इसी कारण उनकी मुत्यु भी हो जाती है।

जी हाँ, टीटी का टीका माँ और बच्चे को टिटनेस की बीमारी से बचाता है। भारत में नवजात षिषुओं की मृत्यु का एक प्रमुख कारण जन्म के समय टिटनेस का संक्रमण होना है। इसलिए अगर गर्भवती महिला ANC के लिए देर से भी नाम दर्ज करवाये तो भी उसे टीटी के टीके लगाये जाने चाहिये। किन्तु टीटी-2 या टीटी बूस्टर टीका प्रसव की अनुमानित तिथि से कम से कम चार सप्ताह पहले दिया जाना चाहिये ताकि उसे उसका पूरा लाभ मिल सके।

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