भाई दूज क्यों मनाई जाती है? क्या है पौराणिक कथा
भाई दूज क्यों मनाई जाती है? भाई दूज की कहानी हिंदी में | तिथि व मुहूर्त, महत्व व पूजा विधि: दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा और फिर भाई दूज का त्यौहार। भारत में अनेकों त्यौहार मनाये जाते हैं। रक्षाबंधन की तरह भाई दूज भी भाई बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतिक है। भाई दूज क्यों मनाया जाता है (why we celebrate bhai dooj in hindi), भाई दूज की कहानी क्या है (bhai dooj story) और भाई दूज कैसे मनाते हैं, इन सब सवालों के जवाब आपको आज के इस लेख में मिलने वाले हैं।
भाई बहन का रिश्ता बड़ा अनोखा होता है। ऐसे कोई भाई बहन नहीं होंगे जो लड़ाइयां नहीं करते होंगे पर वो दोनों बहुत अच्छे दोस्त भी होते हैं, उनके बिच आपसी समझ (understanding) काफी अच्छी होती है। भाई बहन बिना किसी शर्त के एक दूसरे की रक्षा करते हैं और उनमे बहुत गहरा प्यार भी होता है। भाई-बहन के बीच की भावनाओं और प्यार को समझ पाना काफी मुश्किल है।
वैसे तो बहुत से ऐसे विशेष दिन या अवसर हैं जो भाई और बहन के बीच प्यार को मजबूत करने के लिए समर्पित हैं। लेकिन इसमें भैया दूज सबसे अनोखा पर्व है। भाई दूज के अवसर पर जहां बहनें अपने प्यारे भाई की लंबी उम्र, उसके कल्याण और उसकी समृद्धि के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं, वहीँ भाई भी अपनी बहन की खुशहाली की प्रार्थना करता है।
आज भी बहुत से लोगों को नहीं पता है की भाई दूज क्यों मनाया जाता है? भाई दूज मनाने के पीछे कौनसी पौराणिक मान्यता और कथा है। अगर आप भी उनमे से एक हैं तो आज के इस लेख में मैं आपको भाई और बहन के बीच प्रेम बनाये रखने वाले भाई दूज के इस त्यौहार के विषय में विस्तार से बताने वाली हूँ, इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
♦ गोवर्धन पूजा कब है और गोवर्धन पूजा क्यों मनाया जाता है – कथा, महत्व, विधि और मुहूर्त
♦ Happy Chhoti Diwali 2022 Wishes | नरक चतुर्दशी शुभकामना सन्देश
भाई दूज क्या है – What is Bhai Dooj 2022 in Hindi
भाई दूज का पर्व दीपावली के बाद मनाया जाता है। भाई दूज का दूसरा नाम है भैय्या दूज है। रक्षाबंधन की तरह ही भाई दूज के इस पर्व को हिन्दू धर्म के लोगों के द्वारा मनाया जाने वाला खास त्यौहार है। इस पर्व को भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया भी कहा जाता है। यह पर्व हर वर्ष दीपावली के तीसरे दिन मनाया जाता है। भाई दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है।
इस दिन बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती है और उसकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती है। यह पर्व भाई के प्रति बहन के स्नेह को व्यक्त करता है। मान्यता है कि इस दिन यदि विधि-विधान से पूजा की जाए, तो यमराज प्रसन्न होकर पूजा करने वालों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और अगर इस दिन भाई अपनी बहन के यहां भोजन करता है तो उसे दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
भाई दूज कब मनाया जाता है ?
भाई दूज का पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि (Bhai Dooj 2022 Date) को मनाया जाता है। भाई दूज का त्यौहार हर वर्ष दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता है। इस साल दिवाली पर सूर्यग्रहण लगने के कारण लोगों के मन में तिथियों को लेकर कंफ्यूजन है। लोगों के बीच सवाल उठ रहा है कि आखिर भाई दूज का त्योहार किस दिन मनाया जाएगा।
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को ही यमुना ने यमराज को तिलक भोजन कराया था और वर मांगा था जिसे यमराज ने स्वीकार कर लिया था इसीलिए भाई दूज का त्यौहार हर वर्ष इसी दिन मनाया जाता है। भाई दूज को यम द्वितीया (Yam Dwitiya) या भ्रातृ द्वितीया भी कहा जाता है।
यह पर्व रक्षाबंधन की तरह ही मनाया जाता है। इसमें बहनें अपने भाई की सलामती के लिए तिलक लगाकर उनकी सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना करती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह दिन भाई और बहन दोनों के लिए काफी शुभ दिन माना जाता है।
♦ दिवाली कब और क्यों मनाई जाती है | सही तरीके से दिवाली कैसे मनाये | महत्व | मुहूर्त
♦ गणेश चतुर्थी क्यों मनाया जाता है | गणेश चतुर्थी की पौराणिक कथा
भाई दूज की कहानी – Bhai Dooj Story in Hindi | क्यों मनाया जाता है भाई दूज?
भगवान सोइरी नारायण की पत्नी का नाम छाया की कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। लेकिन अपने कार्य में व्यस्त यमराज हर बार इस बात को टाल देते थे। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को यमुना ने यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया।
यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया।
यमुना ने कहा कि भैया, आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करें, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण दिया और यमलोक वापस लौट गए। इसी दिन से भइया दूज की इस पर्व की परम्परा बन गयी। ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता। इसीलिए भैयादूज को यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है।
इस वर्ष 2022 में भाई दूज का पर्व कब है?
इस साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि 26 और 27 अक्टूबर दोनों दिन लग रही है। द्वितीया तिथि 26 अक्टूबर को दोपहर 02:43 मिनट से शुरू होकर 27 अक्टूबर को दोपहर 12:45 मिनट तक रहेगी। ऐसे में 26 अक्टूबर को ही भाई दूज का पर्व मनाना शास्त्र के अनुकूल रहेगा। इस दिन भाई को तिलक करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:14 मिनट से लेकर 12: 47 मिनट तक रहेगा।
भाईदूज मंत्र क्या है ?
“गंगा पूजा यमुना को, यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजे कृष्ण को गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें फूले फलें”
भाई दूज पर्व 2022 की तिथि व मुहूर्त
आइये अब इस वर्ष की भाई दूज की तिथि और मुहूर्त के बारे में जानते हैं – भाई दूज का त्यौहार आप कब मना सकते हैं:-
पर्व | भाईदूज |
तिथि | 26-Oct-22 |
दिन | बुधवार |
तिलक मुहूर्त | 26 अक्टूबर दोपहर 01 बजकर 12 मिनट से 03 बजकर 27 मिनट तक |
अवधि | 2 घंटे 13 मिनट |
भाई दूज का शुभ मुहूर्त कब है 2022 | Bhai Dooj 2022 Date and Shubh Muhurat
इस साल यानि कि साल 2022 में भाईदूज 26 October को पड़ रही है। इस दिन दोपहर 26 अक्टूबर दोपहर 01 बजकर 12 मिनट से 03 बजकर 27 मिनट तक तक मुहूर्त भाइयों को टीका करने के लिए सबसे शुभ है।
भाई दूज से जुड़ी पौराणिक कथा
एक पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन यमुना ने यमराज को अपने यहां भोजन कराया था जिससे खुश होकर यमराज नें नरक के जीवों को मुक्त कर दिया था। नरक से मुक्ति पाकर सभी जीवों को नरक की यातनाओं से मुक्ति मिली और वे तृप्त हो गए थे। सभी जीव पापमुक्त होकर सभी सांसारिक बंधनों से मुक्त हो गए और सभी जीवों ने मिलकर उत्सव मनाया और ये उत्सव यमलोक के राज्य को सुख पहुंचाने वाला था।
यह तिथि यम द्वितीया के नाम से प्रचिलित हुई और इसी तिथि को हर वर्ष भाई दूज पर्व मनाया जाता है। माना जाता है इस तिथि को जो भाई अपनी बहन के यहां भोजन करता है उसे सुख संपत्ति और धन कि प्राप्ति होती है साथ ही सारी मनोकामनाएं पूरी होती है।
भाई दूज पूजा विधि
भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई को घर बुलाकर तिलक लगाकर उन्हें भोजन कराती हैं। इस दिन बहनों को प्रात: स्नान कर सबसे पहले अपने ईष्ट देव और भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए। इसके बाद पिसे चावल से चौक बनाए और इस चौक पर भाई को बैठाएं।
भाई की हथेली पर चावल का घोल लगाएं फिर उसके ऊपर थोड़ा सा सिन्दूर लगाकर कद्दू के फूल, सुपारी, पैसा आदि हाथों पर रखकर धीरे-धीरे हाथों पर पानी छोड़ें। इसके बाद भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारें और फिर कलावा बांधा जाता हैं। इसके बाद मिठाई से भाई का मुंह मीठा करें। इसके बाद उन्हें भोजन कराएं और पान खिलाएं।
भाई दूज पर भाई को पान खिलाने से बहनों का सौभाग्य अखण्ड रहता है। तिलक और आरती के बाद भाई अपनी बहनों को उपहार भेंट करें और सदैव उनकी रक्षा का वचन दें। इस दिन भाई – बहन का हाथ पकड़ कर यमुना नदी में स्नान करने से यमराज अकाल मृत्यु से अभयदान प्रदान करते हैं।
♦ श्री कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है? जन्माष्टमी की कहानी और महत्व
भाईदूज का धार्मिक महत्व | भाईदूज का महत्व
धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यमुना ने अपने भाई यम को आदर-सत्कार स्वरूप वरदान प्राप्त किया था, जिस वजह से भाईदूज को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। यमराज के वर अनुसार जो व्यक्ति इस दिन यमुना में स्नान करके, यम का पूजन करेगा, मृत्यु के पश्चात उसे यमलोक में नहीं जाना पड़ेगा।
वहीं सूर्य की पुत्री यमुना समस्त कष्टों का निवारण करने वाली देवी स्वरूपा मानी गई हैं। इस कारण यम द्वितीया के दिन यमुना नदी में स्नान करने और यमुना व यमराज की पूजा करने का विशेष महत्व है। इस दिन बहन अपने भाई को तिलक कर उसकी लंबी उम्र के लिए हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना भी करती हैं। पुराणों के अनुसार, इस दिन की गई पूजा से यमराज प्रसन्न होकर मनोवांछित फल प्रदान करते हैं।
भाई दूज की पूजा किस समय होती है । दोपहर के समय होती है भाईदूज की पूजा
शास्त्रों के अनुसार, यम द्वितीया यानी भाईदूज के दिन यमराज अपनी बहन के घर दोपहर के समय आए थे और बहन की पूजा स्वीकार करके उनके घर भोजन किया था। वरदान में यमराज ने यमुना को कहा था कि भाई दूज यानी यम द्वितीया के दिन जो भाई अपनी बहनों के घर आकर उनकी पूजा स्वीकार करेंगे और उनके घर भोजन करेंगे उनका अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा।
भाई दूज पूजा सामग्री
कुमकुम, पान, सुपारी, फूल, कलावा, मिठाई, सूखा नारियल और अक्षत आदि. तिलक करते वक्त इन चीजों को पूजा की थाली में रखना ना भूलें.
♦ Valentine’s Day 2022: Valentine Day क्यों मनाया जाता है
♦ गणेश चतुर्थी क्यों मनाया जाता है | गणेश चतुर्थी की पौराणिक कथा
आशा है आज का लेख भाई दूज क्यों मनाई जाती है? आपको पसंद आया होगा और और आपको भाई दूज क्यों मनाया जाता है (why we celebrate bhai dooj in hindi), भाई दूज की कहानी क्या है (bhai dooj story) और भाई दूज कैसे मनाते हैं इत्यादि के बारे में जानकारियां प्राप्त हो गयी होंगी। आज का लेख आपको कैसा लगा, कमेंट करके जरूर बताएं और ऐसे ही कई तरह के लेखो के लिए हमसे Contact Us या Social Media के साथ जुड़े रहे।