Cesarean Delivery Kaise Hoti Hai – सिजेरियन डिलीवरी (ऑपरेशन से बच्चे का जन्म) की प्रक्रिया
आज के समय में में सिजेरियन डिलीवरी (Cesarean Delivery) यानी की ऑपरेशन की मदद से बच्चे का जन्म होने के cases लगातार बढ़ रहे हैं। पर क्या आप जानते हैं की Cesarean Delivery Kaise Hoti Hai – सिजेरियन डिलीवरी (ऑपरेशन से बच्चे का जन्म) की प्रक्रिया क्या होती है, इस सिजेरियन डिलीवरी की सच्चाई क्या है और सिजेरियन डिलीवरी की जरुरत कब पड़ती है?
माँ की कोख से बच्चे का जन्म, कुदरत के सबसे बड़े करिश्मों में से एक है लेकिन आजकल ये करिश्मा होना थोड़ा कम हो गया है। भारत में हर पांच में से एक डिलीवरी सिजेरियन से हो रही है, बाकि के देशों का तो और भी बुरा हाल है। आज के ब्लॉग में हम जानने वाले है Cesarean Delivery Kaise Hoti Hai और सिजेरियन डिलीवरी कैसे की जाती है? सिजेरियन डिलीवरी से माँ और बच्चे को क्या क्या खतरा हो सकता है तथा सिजेरियन डिलीवरी के फायदे और नुकसान क्या क्या है?
सिजेरियन डिलीवरी क्या होती है – C Section Risks and Benefits
सिजेरियन डिलीवरी या सी-सेक्शन डिलीवरी में गर्भस्थ शिशु को योनि की बजाय पेट और गर्भाशय पर बड़ा चीरा लगाकर ऑपरेशन कर के बच्चा निकाला जाता है। सिजेरियन डिलीवरी के दौरान डॉक्टर आपके पेट और गर्भाशय पर चीरा लगाते हैं, ताकि शिशु का जन्म हो सके। यदि जन्म के दौरान कोई जटिलता हो तो यह प्रसव का सबसे शीघ्र तरीका है।
इसके बाद डाॅक्टर पेट और गर्भाशय को टांका लगाकर बंद कर देते हैं, जो समय के साथ शरीर में घुल जाते हैं। ज्यादातर सिजेरियन डिलीवरी स्पाइनल या एपिड्यूरल एनेस्थीसिया देकर किए जाते हैं, ताकि आपको दर्द महसूस ना हो। सिजेरियन डिलीवरी की पूरी प्रक्रिया के दौरान गर्भवती होश में ही रहती है और उसे पता रहता है की उसके आसपास क्या हो रहा है।
सी-सेक्शन पेट का एक बड़ा ऑपरेशन होता है और इसमें कुछ जोखिम भी होते हैं। आमतौर पर यह तभी किया जाता है जब यह गर्भवती और गर्भस्थ शिशु के लिए सबसे सुरक्षित विकल्प हो। अब जान लेते है की सिजेरियन डिलीवरी किन कारणों से होती है?
सिजेरियन डिलीवरी किन कारणों से होती है – Cause of Cesarean Delivery in Hindi
• प्रीमैच्योर डिलीवरी की स्थिति
• महिला को स्वास्थ्य संबंधी कोई बीमारी जैसे की बीपी, थायराइड, हृदय रोग इत्यादि
• माँ के जननांग में कोई दाद हो जिससे बच्चे को संक्रमण का खरता हो
• प्लेसेंटा से जुड़ी कोई समस्याएं जैसे प्लेसेंटा का रुक जाना या प्लेसेंटा प्रीविया
• गर्भनाल से जुड़ी कोई समस्याएं होने पर
• अनुप्रस्थ प्रसव होने पर जिसमें शिशु के कंधे पहले बाहर आ रहे हों
• जब पेट में बच्चे की पोजीशन सही ना हो
• जब शिशु के गले में गर्भनाल उलझ जाये
• नवजात के दिल की धड़कन असामान्य होने पर
• बच्चे के विकास में समस्याएं होने पर
• पेट में दो या दो से ज्यादा बच्चे होने पर
• पेट में शिशु को ऑक्सीजन की कमी होने पर
• अगर आपकी पहली डिलीवरी सिजेरियन प्रक्रिया से हुई हो
• शिशु का सिर बर्थ कैनाल से बड़ा होने पर
ये कुछ ऐसी परिस्थितियां हैं जिसमे सिजेरियन डिलीवरी की आवश्यकता पड़ती है। अब जानते हैं की सिजेरियन डिलीवरी की प्रक्रियां क्या (Cesarean Delivery Kaise Hoti Hai) है यानि सिजेरियन डिलीवरी कैसे होती है।
♦ सिजेरियन डिलीवरी की सच्चाई क्या है और सिजेरियन डिलीवरी की जरुरत कब पड़ती है
♦ सामान्य प्रसव के बाद टांके क्यों लगाए जाते हैं
Cesarean Delivery Kaise Hoti Hai – सिजेरियन डिलीवरी की प्रक्रिया
सिजेरियन डिलीवरी में सबसे पहले पुरे पेट को कीटाणुरहित (disinfect) किया जाता है, पेट को कीटाणुरहित कपड़े से ढँका जाता है। इस कपड़े को बीच में से काट दिया जाता है, ताकि जिस स्थान पर ऑपरेशन किया जाएगा, केवल वही स्थान खुला रहे।
पेट को संवेदनहीन (anesthesia) किया जाता है। पेट पूरी तरह संवेदनहीन हुआ है या नहीं ये देखने के लिए डॉक्टर्स पेट को थोड़ा हिला डुला कर देखते है। अगर महिला कोई प्रतिक्रिया नहीं देती तो डॉक्टर्स पेट के निचले हिस्से में चीरा लगा देते है।
इस दौरान महिला होश में रहती है लेकिन संवेदनहीनता (anesthesia) के कारण उसे दर्द महसूस नहीं होता। चीरा लगते ही चंद मिनटों में बच्चा पेट से बाहर आ जाता है।
सिजेरियन के द्वारा प्रसव वाकई बहुत जल्दी हो जाता है लेकिन इसका ये मतलब बिलकुल नहीं है की ये कोई छोटा मोटा ऑपरेशन होता है। सिजेरियन डिलीवरी में जितनी जल्दी बच्चे को बाहर निकाला जाता है उतनी ही जल्दी पेट पर टांकें भी लगाए जाते है ताकि ज्यादा खून ना बह जाये।
इसके बाद बच्चे को मुलायम कपड़े या तौलिये से साफ किया जाता है। बाहर के देशों में सीजेरियन प्रसव के दौरान पिता भी साथ होते है लेकिन एक परदा लगा होता ताकि उन्हें खून का सामना ना करना पड़े।
सामान्य प्रसव में ये परदा नहीं होता क्यूंकि सामान्य प्रसव ऑपरेशन से नहीं होते है, इसमें ना इतना बड़ा चीरा लगता है, ना ही इतने टांके लगते है और ना ही इतना खून बहता है। सिजेरियन वाकई बहुत बड़ा ऑपरेशन होता है। बच्चे तक पहुंचने के लिए पेट पर काफी गहरा चीरा लगाना पड़ता है।
सिजेरियन डिलीवरी के लिए सबसे पहले पेट की त्वचा पर एक चीरा लगाते है, उस त्वचा के निचे फैट की एक परत होती है उसे काटा जाता है, इसके बाद मांसपेशियों को काटा जाता है, इसके बाद गर्भाशय तक पहुंचते है गर्भाशय के अंदर एमनीओटिक सैक होता है, इसे काटते है फिर एमनीओटिक द्रव बाहर आता है, इसके अंदर से बच्चे को निकालते है।
इतना लम्बा ऑपरेशन चंद मिनटों में कर बच्चे को बाहर निकाला जाता है। एक आम इंसान को इतना कुछ पता नहीं होता, इसलिए डॉक्टर्स कुछ भी बोलकर लोगों को डरा देते है और सिजेरियन डिलीवरी कर देते है। डॉक्टर्स कुछ भी बोल कर आपको बहला फुसला लेते है। जैसे की बच्चे ने गर्भनाल (umbilical cord) अपने गले में फंसा ली है।
दरअसल बच्चा अक्सर गर्भनाल को पकड़ कर रखता है। वो एमनीओटिक द्रव में तैरता रहता है, ऐसे में कई बार गर्भनाल गले में भी अटक जाती है। लेकिन ज्यादातर मामलों में वो खुद ब खुद गले से निकल भी जाती है।
ऐसे में डॉक्टर्स ऐन मौके पर आपसे इस तरह की बात कहेंगे तो आपको उनकी बात माननी ही पड़ती है क्यूंकि आपको जच्चा बच्चा दोनों ही सुरक्षित चाहिए। लेकिन सिजेरियन डिलीवरी कराने से पहले आपको इसके फायदे और नुकसान के बारे में भी जान लेना चाहिए।
सिजेरियन डिलीवरी के फायदे और नुकसान – Advantages & Disadvantages of Caesarean Delivery
यह तो सच है कि सामान्य प्रसव, सिजेरियन से बेहतर होती है। पहले डाॅक्टर्स अंतिम समय तक सामान्य प्रसव के लिए ही प्रयासरत रहते थे पर आजकल समय की कमी कहिये या पैसे का लालच, डॉक्टर्स ऐन मौके पर गर्भवती के घरवालों को डरा कर सिजेरियन डिलीवरी की अनुमति ले ही लेते है।
पर कुछ मामलों में स्वास्थ्य के जोखिमों के चलते भी सिजेरियन डिलीवरी यानि सी-सेक्शन का निर्णय लिया जाता है।
सिजेरियन डिलीवरी के फायदे – Benefits of Cesarean Delivery
- अगर मां और बच्चे में से किसी एक भी जान का खतरा हो तो, सी सेक्शन से बेहतर कुछ नहीं होता।
- प्रि-मैच्योर डिलीवरी के लिए सी-सेक्शन वरदान माना जाता है।
- किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या जैसे ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारी या थायराॅयड में सिजेरियन ही बेहतर माना जाता है।
- अब तो वैसे भी सी-सेक्शन का फैशन सा चल रहा है। आजकल तो महिलाएं खुद ही सी-सेक्शन करने को बोल देती है क्यूंकि उनका कहना होता है की हम सामान्य प्रसव का दर्द नहीं सह सकते ऐसे में दिन-समय वगैरह पहले से तय किया जा सकता है।
- प्रीमैच्योर डिलीवरी के लिए सिजेरियन एक बेहतर विकल्प है।
- सिजेरियन डिलीवरी कराने वाली महिलाओं को मूत्र असंयमिता जैसी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता।
- सिजेरियन डिलीवरी में पेल्विक प्रोलैप्स का खतरा कम होता है।
सिजेरियन डिलीवरी के नुकसान – Disadvantage of Cesarean Delivery
- सिजेरियन डिलीवरी के बाद महिला को ठीक होने में काफी समय लगता है।
- महिलाओं में खून की कमी हो सकती है।
- स्तनपान करा पाने की अवस्था में आने में समय लग सकता है क्योंकि खुद से उठने-बैठने में दिक्कत होती है।
- सामान्य प्रसव की तुलना में सिजेरियन का खर्चा बहुत अधिक रहता है।
- अगर पहला प्रसव सिजेरियन से हुआ हो तो दूसरी बार भी सिजेरियन का ही खतरा रहता है पर कई बार सामान्य प्रसव भी हो सकता है।
- सिजेरियन डिलीवरी के ज्यादातर मामलों में शिशु को जाॅन्डिस यानि पीलिया होने का खतरा बना रहता है।
WHO के अनुसार सिजेरियन डिलीवरी सिर्फ तभी की जानी चाहिए जब माँ या बच्चे, दोनों में से किसी एक की जान को भी खतरा हो। WHO सिर्फ 10% – 15% मामलों में ही ऐसा करने की हिदायत देती है। दिल्ली के अस्पतालों में 65% डिलीवरी सिजेरियन से होती है। आप खुद ही सोच कर देखिये क्या 65% मामलों में आपातकालीन प्रसव की जरुरत पड़ती होगी।
सिजेरियन डिलीवरी की जटिलताएं – Complications of Cesarean Delivery
किसी भी सर्जरी की तरह ही सी-सेक्शन में भी कुछ जोखिम शामिल होते हैं। सामान्य प्रसव यानि योनि मार्ग से प्रसव की तुलना में सी-सेक्शन में जटिलताओं का जोखिम अधिक होता है जो निम्नलखित हो सकते हैं:
• संक्रमण
• अत्यधिक ब्लीडिंग
• खून के थक्के जो टूटकर रक्त प्रवाह (एम्बोलिज्म) में प्रवेश कर सकता है
• आंत्र या मूत्राशय में चोट लग सकती है
• सर्जरी के दौरान लगने वाले चीरे गर्भाशय की दीवार को कमजोर कर सकते हैं
• भविष्य में गर्भधारण के दौरान प्लेसेंटा में समस्या उत्त्पन्न हो सकती है
• योनि प्रसव की तुलना में सी-सेक्शन से उबरने में अधिक कठिनाई हो सकती है
• सी-सेक्शन से क्रोनिक पेल्विक दर्द होने की संभावना ज्यादा रहती है
• दुबारा गर्भधारण करने पर आपको सी-सेक्शन कराने की संभावना पैदा हो जाती है
• सी-सेक्शन से शिशु को स्तनपान कराने में परेशानी हो सकती है
• सी-सेक्शन के कारण शिशु को सांस संबंधी समस्याओं का खतरा अधिक हो सकता है
FAQs Related to Cesarean Delivery Kaise Hoti Hai
Q: सिजेरियन डिलीवरी के बाद किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
A: सिजेरियन डिलीवरी के बाद सर्जिकल एरिया में दर्द हो सकता है, जो समय के साथ ठीक हो जाता है। टांके आमतौर पर 4 से 7 दिनों में ठीक हो जाते हैं, लेकिन पूरी तरह से ठीक होने में एक महीने तक का समय लग सकता है।
Q: सिजेरियन डिलीवरी कितनी बार हो सकती है?
A: पहली डिलीवरी सिजेरियन होने पर आमतौर पर बाकी भी डिलीवरी सिजेरियन होती है, लेकिन डॉक्टरों के अनुसार सुरक्षित माना जाता है कि केवल तीन सिजेरियन डिलीवरी होनी चाहिए।
Q: क्या सिजेरियन डिलीवरी के बाद सेक्स कर सकते हैं?
A: सिजेरियन डिलीवरी के तुरंत बाद संबंध बनाना नहीं चाहिए, क्योंकि यह टांके को ठोड़ा दर्द पहुंचा सकता है और इसका शरीर पर बुरा प्रभाव हो सकता है।
Q: क्या सिजेरियन डिलीवरी के बाद योनि से खून बहता है?
A: सिजेरियन डिलीवरी के बाद ब्लीडिंग की शिकायत हो सकती है, जो आमतौर पर 6 सप्ताह तक रह सकती है।
Q: सी-सेक्शन डिलीवरी कैसे की जाती है?
A: सी-सेक्शन डिलीवरी में महिला के पेट पर कट लगाकर बच्चे को बाहर निकाला जाता है और फिर पेट को टांके लगाकर बंद किया जाता है।
Q: सिजेरियन डिलीवरी करने में कितना टाइम लगता है?
A: प्रसव कराने में लगभग 10 मिनट लगते हैं और इसके बाद चीरे की सिलाई करने में लगभग 30 मिनट लगते हैं।
Q: सिजेरियन डिलीवरी के बाद सेक्स कब करना चाहिए?
A: सी सेक्शन के बाद आमतौर पर 6 सप्ताह के बाद या डॉक्टर की सुझावनुसार ही सेक्स में शामिल होना चाहिए।
Q: C Sеction कितने प्रकार के होते हैं?
A: सी-सेक्शन के विभिन्न प्रकार हो सकते हैं, जैसे अति-उदरावरणीय सीज़ेरियन परिच्छेद या दुहराव सीज़ेरियन परिच्छेद, जो डॉक्टर की निर्धारिति पर निर्भर करता है।
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